“गर्भ संवाद – गर्भ ध्यान” ४६ पेजकी पुस्तिका है, जिसमें गर्भस्थ शिशु के साथ संवादका अद्भुत माहात्म्य का वर्णन किया हुआ है। यह पुस्तिका, प्रत्येक गर्भवती माँ को अवश्य पढ़ना चाहिए, जिसमें गर्भस्थ शिशु को सूक्ष्म ज्ञान कैसे प्रदान किया जाए, इस बारे में बहुत कुछ कहा गया है। यह पुस्तिका तार्किक चर्चा प्रदान करती है जैसे कि सर्वोत्तम संतान प्राप्त करने के लिए प्रार्थना कैसे करनी चाहिए। बीज अंकुरण पर प्रार्थना का प्रभाव रहता है। इस पुस्तिका का महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि पहले महीने से नौवें महीने तक बच्चे के साथ जो संवाद करना है, वह इस पुस्तिका में शामिल है। लेखक ने इस पुस्तिका में बच्चे के विकास के लिए तीन सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों जैसे प्रार्थना, गर्भ संवाद और गर्भ ध्यान की चर्चा की है।